सफलता का उजास: दोषों से विभूति तक की यात्रा

"समय के रंग सफलता के संग"

जब वक्त साथ होता है, तो दोष भी गुण बन जाते हैं।




सफलता की राह में,
एक दौर ऐसा भी आता है,
जब अवगुण गुण बन जाते हैं,
जग में व्यक्ति यश पाता है।

जो दोष थे कभी उसके,
अब हुनर कहलाते हैं,
किस्मत की इस माया में,
सब रंग बदल जाते हैं।

सफलता की आभा से,
जीवन के सब ढंग बदलने लगते हैं,
निंदक प्रशंसक बन देते हैं पहचान,
महिमा देखो सफलता की —
दोषों पर भी हो विख्यान!!!!!

कहानी समय की कितनी विचित्र,
सफलता का हर रंग,
सबके लिए चित्र।

सफलता के समय की हर राह अनूठी,
दोष भी बनते जहाँ विभूति।
नकारा बना सितारा देखो,
दुनिया का अजब नज़ारा देखो।

समय की महिमा अपरम्पार,
दोषों पर भी जयजयकार।

दृढ़ संकल्प के संग,
हौसला आकाश में उड़ता है,
हर सपना सच होकर,
अपनी कहानी बुनता है।

अंधकार प्रकाश में खो जाता है,
दुर्बल भी सबल हो जाता है।
सफलता का सूरज जब सर पर चढ़ता है,
हर कमजोर ताक़तवर बनकर उभरता है।

                                             — अनु चन्द्रशेखर


एक विचार…
क्या हमने कभी सोचा है —
जिसे आज हम दोष कहते हैं,
वही कल हमारी पहचान बन सकता है?


क्या आप भी इस माया को देख चुके हैं?
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नोट: अनु चंद्रशेखर | CC BY-NC-ND 4.0 | सभी अधिकार सुरक्षित (विस्तृत जानकारी के लिए, देखें   https://abhivyaktanubhuti.blogspot.com/p/license-usage-disclaimer.html  )

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